-
पढ़ा लिखा
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 2.07492 | Lang: NA
-
literate person
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.9272509 | Lang: NA
-
लिखा
Meanings: 3; in Dictionaries: 3
Type: WORD | Rank: 0.9065624 | Lang: NA
-
literate
Meanings: 5; in Dictionaries: 3
Type: WORD | Rank: 0.7418007 | Lang: NA
-
educated
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.6490756 | Lang: NA
-
टाकमटिका, डोक्यांत लिखा
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.4418196 | Lang: NA
-
तकदीरका लिखा, कमी नहीं चूका
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.4418196 | Lang: NA
-
ऊपर लिखा
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.4418196 | Lang: NA
-
एक लिखा और सो (सब्) बका
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.4418196 | Lang: NA
-
एक लिखा और सौ बखा
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.4418196 | Lang: NA
-
एक लिखा और हजार बखा
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.4418196 | Lang: NA
-
दाने दानेपर लिखा हैं, खानेवालोका नाम
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.4418196 | Lang: NA
-
ब्रम्ह्याचा लिखा, सटवीचा टांका, त्यास कोण देईल झोंका
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.4418196 | Lang: NA
-
धाय, धाय करम लिखा सो पाय
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.4418196 | Lang: NA
-
कोरड्या अंगी तिडका, बोडक्या डोई लिखा
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.4418196 | Lang: NA
-
लिखा हुआ
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.4418196 | Lang: NA
-
हजार बका (आणि) एक लिखा
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.4056948 | Lang: NA
-
above-mentioned
Meanings: 7; in Dictionaries: 6
Type: WORD | Rank: 0.1113279 | Lang: NA
-
above-named
Meanings: 3; in Dictionaries: 3
Type: WORD | Rank: 0.1113279 | Lang: NA
-
अल्प शिक्षित
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.07491338 | Lang: NA
-
विवेकवैराग्यनाम - ॥ समास चौथा - विवेकवैराग्यनाम ॥
इस ग्रंथमें प्रत्येक छंद ‘मुख्य आत्मनुभूति से’ एवं सभी ग्रंथों की सम्मति लेकर लिखा है ।
Type: PAGE | Rank: 0.0426464 | Lang: NA
-
विवेकवैराग्यनाम - ॥ समास छठवां - सृष्टिक्रमनिरूपणनाम ॥
इस ग्रंथमें प्रत्येक छंद ‘मुख्य आत्मनुभूति से’ एवं सभी ग्रंथों की सम्मति लेकर लिखा है ।
Type: PAGE | Rank: 0.0426464 | Lang: NA
-
विवेकवैराग्यनाम - ॥ समास नववां- येत्नसिकवणनाम ॥
इस ग्रंथमें प्रत्येक छंद ‘मुख्य आत्मनुभूति से’ एवं सभी ग्रंथों की सम्मति लेकर लिखा है ।
Type: PAGE | Rank: 0.0426464 | Lang: NA
-
विवेकवैराग्यनाम - ॥ समास सातवां - विषयत्यागनिरूपणनाम ॥
इस ग्रंथमें प्रत्येक छंद ‘मुख्य आत्मनुभूति से’ एवं सभी ग्रंथों की सम्मति लेकर लिखा है ।
Type: PAGE | Rank: 0.0426464 | Lang: NA
-
विवेकवैराग्यनाम - ॥ समास पांचवां - आत्मनिवेदननाम ॥
इस ग्रंथमें प्रत्येक छंद ‘मुख्य आत्मनुभूति से’ एवं सभी ग्रंथों की सम्मति लेकर लिखा है ।
Type: PAGE | Rank: 0.0426464 | Lang: NA
-
विवेकवैराग्यनाम - ॥ समास आठवां - कालरूपनाम ॥
इस ग्रंथमें प्रत्येक छंद ‘मुख्य आत्मनुभूति से’ एवं सभी ग्रंथों की सम्मति लेकर लिखा है ।
Type: PAGE | Rank: 0.0426464 | Lang: NA
-
विवेकवैराग्यनाम - ॥ समास तीसरा - भक्तनिरूपणनाम ॥
इस ग्रंथमें प्रत्येक छंद ‘मुख्य आत्मनुभूति से’ एवं सभी ग्रंथों की सम्मति लेकर लिखा है ।
Type: PAGE | Rank: 0.0426464 | Lang: NA
-
विवेकवैराग्यनाम - ॥ समास दसवां - उत्तमपुरुषनिरूपणनाम ॥
इस ग्रंथमें प्रत्येक छंद ‘मुख्य आत्मनुभूति से’ एवं सभी ग्रंथों की सम्मति लेकर लिखा है ।
Type: PAGE | Rank: 0.0426464 | Lang: NA
-
विवेकवैराग्यनाम - ॥ समास दूसरा - प्रत्ययनिरूपणनाम ॥
इस ग्रंथमें प्रत्येक छंद ‘मुख्य आत्मनुभूति से’ एवं सभी ग्रंथों की सम्मति लेकर लिखा है ।
Type: PAGE | Rank: 0.0426464 | Lang: NA
-
विवेकवैराग्यनाम - ॥ समास पहला - विमललक्षणनाम ॥
इस ग्रंथमें प्रत्येक छंद ‘मुख्य आत्मनुभूति से’ एवं सभी ग्रंथों की सम्मति लेकर लिखा है ।
Type: PAGE | Rank: 0.0426464 | Lang: NA
-
जानना
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.03745669 | Lang: NA
-
कर्मविपाकसंहिता - गुरु की प्रार्थना
भगवान शंकर और पार्वतीजीने जीवोंके निस्तारके लिये नाना प्रकारके प्रायश्चित्त संचित कर्मोंके नाश के लिये बताये है , उन्हीं का वर्णन कर्मविपाक ग्रंथ में लिखा हुआ है।
Type: PAGE | Rank: 0.03655406 | Lang: NA
-
काव्यमीमांसा - सप्तदशो ऽध्यायः
संस्कृत कवि राजशेखरद्वारा द्वारा रचित काव्यमीमांसा अलंकार शास्त्र पर लिखा गया एक विशालकाय ग्रंथ था, जिसमें मूलत: 18 अधिकरण थे। राजशेखर महाराष्ट्र देशवासी थे और यायावर वंश में उत्पन्न हुए थे।
Type: PAGE | Rank: 0.03046172 | Lang: NA
-
काव्यमीमांसा - एकादशो ऽध्यायः
संस्कृत कवि राजशेखरद्वारा द्वारा रचित काव्यमीमांसा अलंकार शास्त्र पर लिखा गया एक विशालकाय ग्रंथ था, जिसमें मूलत: 18 अधिकरण थे। राजशेखर महाराष्ट्र देशवासी थे और यायावर वंश में उत्पन्न हुए थे।
Type: PAGE | Rank: 0.03046172 | Lang: NA
-
काव्यमीमांसा - चतुर्थो ऽध्यायः
संस्कृत कवि राजशेखरद्वारा द्वारा रचित काव्यमीमांसा अलंकार शास्त्र पर लिखा गया एक विशालकाय ग्रंथ था, जिसमें मूलत: 18 अधिकरण थे। राजशेखर महाराष्ट्र देशवासी थे और यायावर वंश में उत्पन्न हुए थे।
Type: PAGE | Rank: 0.03046172 | Lang: NA
-
काव्यमीमांसा - त्रयोदशो ऽध्यायः
संस्कृत कवि राजशेखरद्वारा द्वारा रचित काव्यमीमांसा अलंकार शास्त्र पर लिखा गया एक विशालकाय ग्रंथ था, जिसमें मूलत: 18 अधिकरण थे। राजशेखर महाराष्ट्र देशवासी थे और यायावर वंश में उत्पन्न हुए थे।
Type: PAGE | Rank: 0.03046172 | Lang: NA
-
काव्यमीमांसा - सप्तमो ऽध्यायः
संस्कृत कवि राजशेखरद्वारा द्वारा रचित काव्यमीमांसा अलंकार शास्त्र पर लिखा गया एक विशालकाय ग्रंथ था, जिसमें मूलत: 18 अधिकरण थे। राजशेखर महाराष्ट्र देशवासी थे और यायावर वंश में उत्पन्न हुए थे।
Type: PAGE | Rank: 0.03046172 | Lang: NA
-
काव्यमीमांसा - षष्ठो ऽध्यायः
संस्कृत कवि राजशेखरद्वारा द्वारा रचित काव्यमीमांसा अलंकार शास्त्र पर लिखा गया एक विशालकाय ग्रंथ था, जिसमें मूलत: 18 अधिकरण थे। राजशेखर महाराष्ट्र देशवासी थे और यायावर वंश में उत्पन्न हुए थे।
Type: PAGE | Rank: 0.03046172 | Lang: NA
-
काव्यमीमांसा - षोडशो ऽध्यायः
संस्कृत कवि राजशेखरद्वारा द्वारा रचित काव्यमीमांसा अलंकार शास्त्र पर लिखा गया एक विशालकाय ग्रंथ था, जिसमें मूलत: 18 अधिकरण थे। राजशेखर महाराष्ट्र देशवासी थे और यायावर वंश में उत्पन्न हुए थे।
Type: PAGE | Rank: 0.03046172 | Lang: NA
-
काव्यमीमांसा - द्वितीयो ऽध्यायः
संस्कृत कवि राजशेखरद्वारा द्वारा रचित काव्यमीमांसा अलंकार शास्त्र पर लिखा गया एक विशालकाय ग्रंथ था, जिसमें मूलत: 18 अधिकरण थे। राजशेखर महाराष्ट्र देशवासी थे और यायावर वंश में उत्पन्न हुए थे।
Type: PAGE | Rank: 0.03046172 | Lang: NA
-
काव्यमीमांसा - नवमो ऽध्यायः
संस्कृत कवि राजशेखरद्वारा द्वारा रचित काव्यमीमांसा अलंकार शास्त्र पर लिखा गया एक विशालकाय ग्रंथ था, जिसमें मूलत: 18 अधिकरण थे। राजशेखर महाराष्ट्र देशवासी थे और यायावर वंश में उत्पन्न हुए थे।
Type: PAGE | Rank: 0.03046172 | Lang: NA
-
काव्यप्रकाश
काव्यप्रकाश आचार्य मम्मट द्वारा रचित काव्य की परख कैसे की जाय इस विषय पर उदाहरण सहित लिखा गया एक विस्तृत एवं अत्यंत महत्त्वपूर्ण एवं प्रामाणिक ग्रंथ माना जाता है।
Type: PAGE | Rank: 0.03046172 | Lang: NA
-
काव्यमीमांसा - चतुर्दशो ऽध्यायः
संस्कृत कवि राजशेखरद्वारा द्वारा रचित काव्यमीमांसा अलंकार शास्त्र पर लिखा गया एक विशालकाय ग्रंथ था, जिसमें मूलत: 18 अधिकरण थे। राजशेखर महाराष्ट्र देशवासी थे और यायावर वंश में उत्पन्न हुए थे।
Type: PAGE | Rank: 0.03046172 | Lang: NA
-
काव्यमीमांसा - दशमोऽध्यायः
संस्कृत कवि राजशेखरद्वारा द्वारा रचित काव्यमीमांसा अलंकार शास्त्र पर लिखा गया एक विशालकाय ग्रंथ था, जिसमें मूलत: 18 अधिकरण थे। राजशेखर महाराष्ट्र देशवासी थे और यायावर वंश में उत्पन्न हुए थे।
Type: PAGE | Rank: 0.03046172 | Lang: NA
-
काव्यमीमांसा - द्वदशो ऽध्यायः
संस्कृत कवि राजशेखरद्वारा द्वारा रचित काव्यमीमांसा अलंकार शास्त्र पर लिखा गया एक विशालकाय ग्रंथ था, जिसमें मूलत: 18 अधिकरण थे। राजशेखर महाराष्ट्र देशवासी थे और यायावर वंश में उत्पन्न हुए थे।
Type: PAGE | Rank: 0.03046172 | Lang: NA
-
काव्यमीमांसा - पञ्चमो ऽध्यायः
संस्कृत कवि राजशेखरद्वारा द्वारा रचित काव्यमीमांसा अलंकार शास्त्र पर लिखा गया एक विशालकाय ग्रंथ था, जिसमें मूलत: 18 अधिकरण थे। राजशेखर महाराष्ट्र देशवासी थे और यायावर वंश में उत्पन्न हुए थे।
Type: PAGE | Rank: 0.03046172 | Lang: NA
-
काव्यमीमांसा - प्रथमो ऽध्यायः
संस्कृत कवि राजशेखरद्वारा द्वारा रचित काव्यमीमांसा अलंकार शास्त्र पर लिखा गया एक विशालकाय ग्रंथ था, जिसमें मूलत: 18 अधिकरण थे। राजशेखर महाराष्ट्र देशवासी थे और यायावर वंश में उत्पन्न हुए थे।
Type: PAGE | Rank: 0.03046172 | Lang: NA
-
काव्यमीमांसा
संस्कृत कवि राजशेखरद्वारा द्वारा रचित काव्यमीमांसा अलंकार शास्त्र पर लिखा गया एक विशालकाय ग्रंथ था, जिसमें मूलत: 18 अधिकरण थे। राजशेखर महाराष्ट्र देशवासी थे और यायावर वंश में उत्पन्न हुए थे।
Type: INDEX | Rank: 0.03046172 | Lang: NA
-
काव्यमीमांसा - तृतीयो ऽध्यायः
संस्कृत कवि राजशेखरद्वारा द्वारा रचित काव्यमीमांसा अलंकार शास्त्र पर लिखा गया एक विशालकाय ग्रंथ था, जिसमें मूलत: 18 अधिकरण थे। राजशेखर महाराष्ट्र देशवासी थे और यायावर वंश में उत्पन्न हुए थे।
Type: PAGE | Rank: 0.03046172 | Lang: NA
-
काव्यमीमांसा - पञ्चदशो ऽध्यायः
संस्कृत कवि राजशेखरद्वारा द्वारा रचित काव्यमीमांसा अलंकार शास्त्र पर लिखा गया एक विशालकाय ग्रंथ था, जिसमें मूलत: 18 अधिकरण थे। राजशेखर महाराष्ट्र देशवासी थे और यायावर वंश में उत्पन्न हुए थे।
Type: PAGE | Rank: 0.03046172 | Lang: NA